सोचिये समझिये विचार कीजिये स्वास्थ्य आपका है

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सोचिये समझिये विचार कीजिये स्वास्थ्य आपका है

सोचिये_समझिये_विचार_कीजिये 
स्वास्थ्य_आपका_है 

क्या वाकई इंसान बार बार बीमार होता है? या हेल्थ इंडस्ट्रीज का शिकार
सभी अस्पतालों की OPD बन्द है, आपातकालीन वॉर्ड में कोई भीड़ नही है। कोरोना बाधित मरीजों के अलावा कोई नए मरीज नही आ रहे हैं। सड़कों पर वाहन ना होने से दुर्घटनाएं नही हैं। हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, ब्रेन हैमरेज के मामले अचानक बहुत कम हो गए हैं।

अचानक ऐसा क्या हुआ है, की बीमारियों की केसेस में इतनी गिरावट आ गई ? यहाँ तक कि श्मशान में आनेवाले मृतको की संख्या भी घट गई हैं*।
क्या कोरोना ने सभी अन्य रोगों को नियंत्रित या नष्ट कर दिया है?
नही ? बिल्कुल नही ?

दरअसल अब यह वास्तविकता सामने आ रही है, की जहाँ गंभीर रोग ना हो, वहाँ पर भी डॉक्टर उसे जानबूझ कर गंभीर स्वरूप दे रहे थे।

जब से भारत में कॉर्पोरेट हॉस्पिटल्स, टेस्टिंग लॅब्स की बाढ आई,आयुर्वेद अनुरूप जीवन त्यागकर वैद्यों को समाप्त कर हेल्थ भी सेवा,समर्पण, न रहकर इंडस्ट्रीज बन गई है तभी से यह संकट गहराने लगा था*। मामूली सर्दी, जुकाम और खांसी में भी हजारों रुपये की टेस्ट्स करनें के लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा था। *छोटी सी तकलीफ में भी धड़ल्ले से ऑपरेशन्स किये जा रहे थे। मरीजों को यूँ ही ICU में रखा जा रहा था। बीमारी से ज्यादा भय उपचार से लगने लगा था*।

अब कोरोना आने के बाद यह सब अचानक कैसे बन्द हो गया?

यहां तक कि पिछले लगभग एक महीने में मृत्युदर भी 70%घट गई*
इसके अलावा एक और सकारात्मक बदलाव आया है। कोरोना आने से लोगों के होटल में खाने पर भी अंकुश लग गया है। लोग स्वयं ही बाहर के सड़क छाप और यहाँ तक कि बड़ी होटलों से अधिक घर का खाना पसंद करने लगे हैं।

लोगों के अनेक अनावश्यक खर्च बंद हो गए हैं ? कोरोना नें इंसान की सोच में परिवर्तन ला दिया है। हर व्यक्ति जागृत हो रहा है। *शांति से जीवन व्यतीत करने के लिए कितनी कम जरूरतें हैं, यह अगर वास्तव में समझ में आ रहा हो, तो उसे बीमारियाँ, भोजन, और पैसे की चिंताओं से बहुत हद तक मुक्ति मिल सकती है।*

आज ना कल कोरोना पर तो नियंत्रण हो ही जाएगा, पर उससे हमारा जीवन जो आज नियंत्रित हो गया है, उसे यदि हम आगे भी इसी तरह नियंत्रण में रखें, आवश्यकताएँ कम करें, तो जीवन वास्तव में बहुत सुखद एवं सुंदर हो जाएगा।

जब जागो तभी सवेरा विद्वान वही है जो समय से भी सीखता है आइये पुनः सनातन धर्म की ओर लौटे जो 100%सनातन विज्ञान है जो बिना किसी भेदभाव मनुष्यमात्र को प्रकृति प्राकृतिक और परमात्मा से जोड़ता है#
आनन्द और परमानन्द सरलता में है सहजता में है सेवा में है समर्पण में है परहित में है।

इस एक महीने ने चीख चीख कर समझा दिया फैशन,ब्रांडिड,हाई फाई लाइफस्टाइल सोसेबाजी खोखला ढकोसला और दिखावा मात्र है हम साधारण रहकर भी बहुत अच्छे ही दिखते हैं स्वस्थ रहते है दीर्घायु होते हैं*
मुफ्त में साफ हो चुकी नदियों,निम्नस्तर तक घट चुके प्रदूषण और अति सुदूर तक स्वच्छ स्पष्ट दिख रहे पहाड़ प्रकृति की बहुत हद तक कम हो रही...

साभार पंकज पाठक जी _/_


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1 Comments

  1. अति उत्तम विचार ( लता शर्मा)

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