आज पाथेड़ी.. कल कौनसा गांव

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आज पाथेड़ी.. कल कौनसा गांव

आज पाथेड़ी.. कल कौनसा गांव 

पिछले दो दिन से समाचार हो या गांव की चौपाल हर जगह पाथेड़ी की घटना का जिक्र होता है यह घटना जालोर वासियों के लिए बहूत कुछ  सोचने को मजबूर कर देती है क्योंकि ऐसी ह्रदय विदारक घटना समाचारो मे अन्य जगह, अन्य प्रदेशो में सुनने को मिलती थी आज जालोर मे हर किसी के कान सन्न रह जाते हैं ऐसा जिसने भी सुना और हर किसी के मुंह से यही निकलता है ''भगवान केड़ो जमारो आयो" है. 

आज पाथेड़ी है कल और कोई गांव हो सकता है अगर सावचेत और सचेत नही रहे तो इस तरह के कुठिंत आत्मायें हर गांव घुमती हूई नजर आ जायेगी. 

थोड़ा कुछ वर्ष पिछे चलते हैं और अपने अपने गांव पर नजर घुमाते हैें, तो पिछले कुछ वर्षो मे बहूत कुछ बदल गया ऐसा आप पायेगें.

सुनसान रहने वाले रास्तो पर आजकल तेज आवाज की मोटर साईकले दौड़ती मिलेगी जो लोग गांव मे आटा, मिर्च लेने दुकान पर पैदल जाते थे वो मोटर साईकल पर युवा तेरे नाम सलमान शाहरुख खान रॉयल बन्ना कुँवर सा बन घुमते है जो काम एक बार में हो जाता है वो दो तीन बार में होता है ऐसा ही हर गांव मे मिलेगा.

हर गांव में एक दो दुकान होगी और उस पर चार पांच निठ्ले लोग बड़े बड़े चाईना का मोबाइल लेकर बैठे होते हैं,मोटर साईकले आधे रास्ते मे पार्क की हुई होगी और उसी रास्ते से बहन, बच्चीयो को गुजरना होता है और बहन, बच्ची को उस दुकान से सामान  लेना होता है तो यह निठले गिद् दृष्टी लगाये बैठे होते है. 

पर यह दुविधा उन महिलाओं के लिये है उन निठ्ले, बेशर्म, नशेड़ीयों के लिए नहीं . यह दृश्य हर गांव मे है और जगह देखने को मिल जायेगा. ऐसा हर जगह पर है और जानते सब पर कोई अकेला विवाद मे पड़ना नही चाहता है, पर कैसे कहे और कौन कहे. 

अपराध एक दिन मे हो जाये ऐसा नहीं है यह हमेशा समय लेता है उससे पहले छोटी मोटी हरकतें अवश्य करता है, अपराध के वाहक अपराधी होते हैं पर उस वक्त कई दफा उन्हे रोकने के प्रयास नही होते हैं, अपराध हमेशा कमजोर के साथ होता है या सामूहिक ताकतवर लोग कर देते हैं अपराधी या तो नशेड़ी, अपराधी किस्म के और नही तो कानुन के कमजोरी का फायदा उठाने वाले होते  है ,जैसे इन्को कहे तो कौन अगर कह दिया तो किस नाम, जात से कानुन मे पिड़ीत परिवार को फंसा देगें. डर जाते हैं पिड़ीत. 

अब जैसे ही घटना घटती हैं पुरा दोष पुलिस के सर पर, पर क्या उससे पहले हमारी ग्रामीण, परिवार की जिम्मेदारी नही बनती जैसे की हर
 F I R  मे लिखा होता है की अपराधी कही दिनों, महिनो से गलत कृत्य कर रहे थे तो उस वक्त गांव, सरपंच, या चार जिम्मेदार लोग उन को पाबंद नही कर सकते थे या फिर ऐसा संभव नही होता तो उस वक्त पुलिस को इतला कर देना चाहिए, बाद में घटना घटित होने पर  हम पब्लिक अपनी जिम्मेदारी से भाग कर सिस्टम को जिम्मेदार ठेहराते है और फिर जैसे ही घटना घटती हैं यह गिद् दृष्टी वाले नेता घटना को राजनैतिक कर इसमें हर प्रकार का तड़का लगा देते हैं और आजकल राजनिती के लोग हर निम्न कृत्य पर भी रोटीया सेकनी शुरू कर ही देते हैं ,खैर. 

ग्रामवासियों अतं मे यही कहना चाहता हूँ की पाथेड़ी की घटना फिर ना हो उसके लिए हम क्या क्या कर सकते है एक सजग ग्रामीण, सजग युवा, अनुभवी व्यक्ति बन इस तरह के कृत्य ना हो उसके लिए अवश्य बात करनी होगी उसमें समझाईस तो हो और ना बात बने तो कानुन या थोड़ी सख्ती जरूरी है क्योंकि यह *तेरे नाम की जमात ऐसे नही मानेगी......*



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