देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता ...

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देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता ...

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता ....🇮🇳

यह सही है,सुना भी है कि चुनाव है। उस लोकतंत्र में जहां की सम्प्रभुता का अपना स्तर है,राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति में यह देश न केवल एक कागज़ का टुकड़ा है और न ही उकेरी गयी कोई आकृति। हम जिस लोकतंत्र की बात करते है और जिस मीडिया की बात करते है उनका अन्तर्सम्बन्ध नकारा नही जा सकता। फिर भी आज मीडिया का जो स्तर बना हुआ है वो बेहद विचारणीय है।

मैं मीडिया को नकार नही रहा हूँ और ना ही विरोध कर रहा हूँ। सिर्फ सुझाव दे रहा हूँ कि कही उसे इस राष्ट्र के लोकतांत्रिक ढांचे से हाथ न धोना पड़े और जिससे कि लोग उसके विरोध में सड़के न सम्भाल ले।

इस राष्ट्र का असली तत्व देश का नक्शा है जो भौगोलिक रूप से वैश्विक स्तर पर देश का नेतृव करता है और जहाँ से राष्ट्रवाद का असली अर्थ शुरू होता है।

जिम्मेदार की गैर जिम्मेदाराना हरकत ....!!

( आज जरूरत है हर जिम्मेदार भारतीय की,जो प्रण ले कि वो ही इस देश सच्चा मीडिया है। फेक न्यूज़ वायरल,सम्प्रभुता व अखण्डता के विरोधी पोस्ट शेयर व वायरल करने से बच्चे)

देश कागज पर बना
नक्शा नहीं होता
कि एक हिस्से के फट जाने पर
बाकी हिस्से उसी तरह साबुत बने रहें
और नदियां, पर्वत, शहर, गांव
वैसे ही अपनी-अपनी जगह दिखें
अनमने रहें।
यदि तुम यह नहीं मानते
तो मुझे तुम्हारे साथ
नहीं रहना है।
~सर्वदयाल सक्सेना

© Shoukat Ali Khan
www.voiceofshoukat.blogspot.com

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