रहस्य से भरी भूल-भुलैया राजस्थान के अभय नगर की प्राचीन संरचनाएं

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रहस्य से भरी भूल-भुलैया राजस्थान के अभय नगर की प्राचीन संरचनाएं

                     रहस्य से भरी भूल-भुलैया राजस्थान के अभय नगर की प्राचीन संरचनाएं 


अंधेरे का लिबास ओढ़े यहां मौजूद सीढ़ियां शाम होते ही किसी अलग दुनिया के होने का आभास कराती हैं। आसपास खड़ी विचित्र मूर्तियां, गहरे अंधरे कुंड को देखकर यह सोचना जरा मुश्किल हो जाता है, कि क्या ये सब इंसानों के द्वारा बनाई गई चीजें हैं ? या फिर इसके पीछे किसी रहस्यमय ताकतों का हाथ है ? आज हमारे साथ जानिए राजस्थान एक ऐसे विचित्र नगर के बारे जिसके बनने की कहानी रहस्यमय ताकतों से जुड़ी है। कहा जाता है कि इस पूरे नगर को एक रात में प्रेत आत्माओं ने बनाया था। जहां आज भी अंग-भंग रूप में प्राचीन मूर्तिया किसी अनजाने साये के होने का संकेत देती हैं। जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी। 
रहस्य से भरी भूल-भुलैया राजस्थान के अभय नगर की प्राचीन संरचनाएं रहस्यमय एहसास दिलाती हैं। यहां मौजूद स्थलों की बनावट बिलकुल अलग है। जिन्हें देखकर लगता है कि इन्हें किसी प्रेत-आत्माओं ने बनाया है। जिसका एहसास यहां आने वाले अधिकांश लोगों को होता है। यहां की भूल-भुलैया, गहरे अंधेरे कुंड शाम ढलते ही किसी अलग दुनिया के होने का एहसास कराते हैं। यही वजह है की इस पूरे इलाके में दिन के वक्त भी सन्नाटा पसरा रहता है। जहां शाम ढलते ही बची-कुची आबादी अपने घरों में कैद हो जाती है। इसलिए इस स्थल को भूतों की नगरी भी कहा जाता है। 
बाहरी शक्तियों का दंश –
यह ऐतिहासिक स्थल किसी बाहरी शक्तियों का दंश भी झेल चुका है। कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने इस पूरे नगर को धराशायी कर दिया था। यहां मौजूद मुर्तियों के अंग भी तुड़वा दिए। इसलिए यहां आज भी अंग-भंग अवस्था में प्राचीन प्रतिमाएं मौजूद हैं। इधर-उधर बिखरे पत्थरों को अगर उठाकर देखा जाए तो उनपर किसी मूर्ति की अर्ध-आकृति जरूर दिखाई देगी। आक्रमण के बाद इस स्थल का एक बड़ा भाग जमीन के अंदर दब गया था। बाद में भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस स्थल की खुदाई का जिम्मा लिया। 
रहस्यमयी सीढ़ियों का जाल –
यहां मौजूद देवी के मंदिर के पास एक प्राचीन जल कुंड(चांद बावड़ी) है, कहा जाता है कि यहां की सीढ़ियों का आज तक कोई गिना नहीं जा सका इस भूल-भूलैया में अगर कोई छोटी सी चीज रख दी जाए तो उसे ढूंढ पाना असंभव है। इस अद्भुत कुंड को ऊंची दीवारों से सुरक्षित बनाया गया था। जिसका इस्तेमाल युद्ध के समय सैनिकों को छुपाने और बारूद साम्रगी रखने के लिए किया जाता था। कुंड के आसपास आकर्षक मूर्तियां मौजूद हैं, जिनकी वास्तुकला देखने लायक है। यहां हिन्दू देवी-देवताओं की कई प्रतिमाएं दीवारों पर उकेरी गई हैं, जिनमें सूर्य, कुबरे, कृष्ण-बलराम, गणेश आदि शामिल हैं। 
देवी-देवताओं की अद्भुत मूर्तियां-
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा की गई खुदाई के दौरान अद्भुत प्राचीन चीजें उभर कर सामने आईं। यहां से मकान, गलियारे, मंदिर व रास्ते बिलकुल हडप्पा की तरह ज्यों के त्यों निकले। वर्तमान में यहां जो देवी का मंदिर मौजूद है, उसे भी खुदाई के दौरान ही निकाला गया है। जिसका ऊपरी मंडप बर्बाद हो चुका है। लेकिन इस खंडहरनुमा आकृति को देख यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसे बनाने में अद्भुत कला का इस्तेमाल किया गया था। जिसकी खूबसूरती आज भी दीवारों पर झलकती है।


पसरा रहता है अजीब सन्नाटा -
वर्तमान में यह स्थल लगभग दो हजार की जनसंख्या वाला एक गांव है। जिसे अभयनगर या आभानेरी के नाम से जाना जाता है। यहां दिन के वक्त भी अजीब सा सन्नाटा छाया रहता है। जिसका एक कारण सरकार की लापरवाही भी कह सकते हैं या फिर लोगों का डर, जिसकी वजह से यह पूरा इलाका वीरानियत की मार झेल रहा है। अगर इस स्थल को सही तरह से विकसित किया जाए तो यह एक खूबसूरत पर्यटन स्थल बन सकता है। जिसकी ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुए कई सैलानी यहां आज भी आना पसंद करते हैं। 
प्रतिमा हो गई थी गायब-
कहा जाता है कि खुदाई के दौरान निकाले गए मंदिर की मूर्ति (हर्षतमाता) बड़े ही गुप्त तरीके से गायब कर दी गई थी। जानकारों की मानें तो यह प्रतिमा कई लाख रूपए की थी। जो पूर्ण रूप से कीमती 'नीलम के पत्थर' से बनी हुई थी। इस मूर्ति को मंदिर से उखाड़ने के लिए आधुनिक यंत्रों की मदद लेनी पड़ी थी। जिन लोगों ने इस कीमती मूर्ति को चुराया था, उनका आज तक कोई पता नहीं लग सका। वर्तमान में यहां हर्षतमाता की आधुनिक मूर्ति स्थापित की गई है। जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त यहां तक का सफर तय करते हैं।
भव्य मेले का आयोजन-


आभानेरी में चैत्रमास के दौरान भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इन दौरान हर्षतमाता मंदिर को अच्छी तरह सजाया जाता है, क्योंकि ज्यादातर इस मेले में लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं। इस बड़े मेले में जानवरों की खरीद-बिक्री भी की जाती है साथ ही मनोरंजन का भी पूरा इंतजाम किया जाता है। मेले में लोक नृत्य व कलाओं का आयोजन भी किया जाता है, जो इस मेले को खास बनाते हैं। इस मेले में हर उम्र के लोग हिस्सा लेने के लिए पहुंचते हैं। वैसे गांवों में मेले का आयोजन एक प्राचीन हिन्दू परंपरा को दर्शाता है, जिसका महत्व काफी बड़ा है। 
कैसे करें प्रवेश- 
आभानेरी, राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है, जहां आप तीनों मार्गें से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है 'दौसा' है। हवाई मार्ग के लिए आप जयपुर हवाई अड्डे का सहारा ले सकते हैं। इसके अलावा आप यहां सड़क मार्गों से द्वारा भी पहुंच सकते हैं। बेहतर सड़क मार्गों द्वारा आभानेरी राजस्थान के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आभानेरी जयपुर-आगरा मार्ग (एनएच 11) पर स्थित है। जो दौसा से लगभग 30 किमी की दूरी पर है जबकि जयपुर से आपको यहां तक के लिए 90 किमी का सफर तय करना होगा।

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