राजस्थानी संगीत मे "प्रकाश जी माली" का महत्व!

Bottom Article Ad

राजस्थानी संगीत मे "प्रकाश जी माली" का महत्व!


एक समय था राजस्थान में भजन संध्याओं में सिर्फ बुजुर्ग सुनने को जाते थे और कुछ उस समय के प्रसिद्ध कलाकार गाते थे और बुजुर्ग एवं माताएँ सुनने को जाते थे , युवा लोगों को भजनों को सुनने का शौक नहीं था युवा लोग भजन संध्याओं के नाम से ही दूर भागते थे और भजन संध्या और राजस्थानी संगीत को जरूरत थी एक ऐसी आवाज की -जो इन बिखरती भजन संध्याओं को संभाल सके ! 
तभी राजस्थानी संगीत में प्रवेश हुआ - " राजस्थान की सिंह गर्जना ,राष्ट्रवादी भजन सम्राट श्री प्रकाश जी माली का " ! 
आते ही उन्हौनें लोगों को मनवा दिया कि राजस्थानी संगीत में नया मोड़ आने वाला है ,अपने जीवन के लगभग 20 साल संगीत को देने वाले राष्ट्रवादी भजन सम्राट श्री प्रकाश जी माली ने जब पहली बार लाखोटिया महादेव में जोशपूर्ण प्रस्तुति दी तो जनता तो जनता कलाकार भी सोचने को मजबूर हो गए ! 
श्री प्रकाश जी माली ने अपने जीवन में एक से बढकर एक एलबमों की प्रस्तुति दी - 

महाराणा प्रताप 
गौ माता 
पन्ना धाय 
राजा हरिश्चन्द्र 
राजा चंदन 
बाबा रामदेवजी 
वीर पाबुजी राठौड़ 
आशापुरा माताजी 
स्वामी विवेकानन्द 
भारत जागो विश्व जगाओ ! 
और इनसे भी बढकर कई प्रस्तुतियाँ दी है ! तभी आज उनकी भजन संध्या में युवा लोग ज्यादा नजर आते है ! 
जहाँ युवा भजनों को पसंद नहीं करते थे उन सबकी पहली पसंद आज भजन सम्राट श्री प्रकाश जी माली है ! 
आज जहाँ भी श्री प्रकाश जी माली की भजन संध्या होती है वहाँ लोगों का हुजुम उमड़ पड़ता है उन्हें सुनने को ! 
आज राजस्थान ही नहीं देश ही नहीं बल्कि नेपाल जाकर अपनी प्रस्तुति दे चुके है श्री माली ! 
राजस्थानी संगीत में उनका एक छत्र राज है और उनके नाम का डंका बजता है ! 
एक तरह से सभी गानों के ऑलराउण्डर है श्री प्रकाश जी माली ! 
अपने सरल स्वभाव के कारण आज आप संगीत में ,कलाकारों में और प्रशंसकों में अपना महत्वपूर्ण स्थान और उनके दिल में जगह बनाये रखते है ! 
आप हमेशा ऐसे ही गाते रहें , माँ सरस्वती हमेशा आपके कंठों में विराजमान रहे ! 
                      आपका एक प्रशंसक !     
                             विक्रमसिंह वालेरा

Post a Comment

0 Comments