नोट:- यहा पर दिया गया लेख कुछ लोगो की प्रतिक्रिया पर आधारित हैं!
गजेन्द्र जी रॉव ने जो सभी कलाकारों के लिए भड़वा शब्द का इस्तेमाल किया है उसका में इसे जवाब दे रहा हु तो सभी कलाकार सुनिए और पढ़िए इसके बाप को भी ज्यादा बोलने की बीमारी थी और इसे भी उसी बीमारी ने अपनी गिरफ्त में ले रक्खा हे कोई लड़की अगर डांस करके अपने परिवार का पालन पोषण करती है तो उसमें बुरा क्या है और डांस करना भी आसान नहीं होता जुठ मुठ का मुस्कुराना पड़ता है और भजन चाहे कितना भी लंबा हो फिर भी लड़की उसी लय में नाचती रहती है और रात भर भजन संध्या के मंच पर डांस की प्रस्तुति देती रहती है तब कही जाकर सुबह उसको 2000 हजार रूपय्ये मिलते है तो मेरा मानना ये हे की ये लड़कियां भी कलाकार हे इनका सम्मान करना हम सब को सीखना पड़ेगा ये किसी का भी बुरा नहीं करती बल्कि कई साथी कलाकारों के भद्दे भद्दे कमेन्ट्स भी बर्दाश्त करती है कभी विरोध नहीं करती और अपने काम से काम रखती है और सच्ची मेहनत का पैसा अपने घर ले जाती है ऐसे में इस घटिया कलाकार ने ये साबित करने की कोशिश की हे की पुरे राजस्थान में एक में और मेरा बाप रामनिवास ही सही कलाकार हे बाकि सारे कलाकार भड़वे हे जैसा की इसने भजन संध्या के मंच पर इस गंदे शब्द का इस्तेमाल किया है इस बच्चे को ये नहीं पता की भजन संध्या में शब्दों को तोल मोल कर बोला जाता है इस तरह के शब्दों का प्रयोग पूरी तरह से वर्जित है जिसे खुद की गलतियों का पता नहीं वो दुसरो की गलतियां गिना रहा है इसको ये भी याद रखना चाहिए की रामनिवास राव की मौत ज्यादा शराब का सेवन करने से फेफड़ों में छेद हो जाने की वजह से हुई है वो कोई बॉर्डर पर शहीद नहीं हुए हे सभी कलाकरों के काम करने का अपना एक तरीका होता है लड़कियों का डांस भजन संध्या में होना चाहिए या नहीं इसका फैसला सिर्फ जनता पर ही छोड़ना चाहिए जब तक जनता को सही लगेगा तब तक इन हमारी कलाकार लड़कियों की रोजी रोटी कोई भी एरा गेरा नहीं छीन सकता और हम सब कलाकारों को भड़वा कहने वाले तेरे को भी कलाकारों की जमात के साथ ही रहना है इनसे अलग होते ही तेरी कोई पहचान नहीं है
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