जहां पानी में छवि देखना भी गवारा नहीं, उसे पर्दे पर उतारने की बेशर्म कोशिश है-पद्मावती!

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जहां पानी में छवि देखना भी गवारा नहीं, उसे पर्दे पर उतारने की बेशर्म कोशिश है-पद्मावती!

बॉलीवुड. जहां पानी में छवि देखना भी गवारा नहीं, उसे पर्दे पर उतारने की बेशर्म कोशिश है, भंसाली की फिल्म- पद्मावती!


खबर है कि... फिल्मकार संजय लीला भंसाली की फिल्म ' को लेकर आए उत्तेजक बयानों के बाद श्री राजपूत करणी सेना ने इस फिल्म के एक दिसंबर को रिलीज होने की हालत में उस दिन 'भारत बंद का आह्वान किया है. राजपूत करणी सेना के नेता कल्याण सिंह कालवी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फिल्म पर रोक लगाने की मांग करते हुए, मांग नहीं माने जाने पर एक दिसम्बर को फिल्म रिलीज के दिन भारत बंद का आह्वान किया है. कालवी ने प्रेस से कहा... रिलीज के दिन से पहले हम गुरुग्राम, पटना, लखनऊ, भोपाल आदि सहित देश भर में रैली करेंगे!

खबर यह भी है कि... महाराष्ट्र सरकार ने सावधानी के तौर पर फिल्मकार संजय लीला भंसाली को पुलिस सुरक्षा प्रदान की है. विवाद के संबंध में कालवी का कहना था कि जनवरी में संजय लीला भंसाली ने लिखित आश्वासन दिया था कि फिल्म रिलीज करने से पहले राजपूत करणी सेना को विश्वास में लिया जाएगा, लेकिन... उन्होंने तो बगैर चर्चा के ही फिल्म का ट्रेलर जारी कर दिया? जबकि अभी तो यह फिल्म सेंसर बोर्ड से बाहर नहीं आई है! यह ट्रेलर जारी करना, राजपूत समाज को भड़काने जैसा काम है... फिल्म के प्रदर्शन को रोकने के लिए हम किसी तरह की हिंसा नहीं चाहते लेकिन उन्होंने साफ  कहा कि... अहिंसा बहुत जरूरी है, पर हिंसा तो मजबूरी है... यह जौहर की ज्वाला है, इसमें बहुत कुछ जल सकता है! यह चेतावनी भी दी गई कि एक दिसम्बर को पूरे भारत में कहीं भी फिल्म को प्रदर्शित नहीं होने दिया जाएगा.


कालवी का कहना है कि... फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए प्रधानमंत्री से अपील की गई है कि राजपूतों के इतिहास से छेड़छाड़ के कारण देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है, इसलिए... सिनेमेटोग्राफी रूल्स के सेक्शन छह के बिंदु तीन के अंतर्गत इसके प्रदर्शन पर तीन महीने के लिए रोक लगाई जाए!

सबसे ज्यादा चौकानेवाला तथ्य यह है कि इस फिल्म के प्रदर्शित होने की आशंका... विरोध... हिंसा की आशंका आदि के स्पष्ट संकेतों के बावजूद इस संबंध में कोई ठोस पहल केन्द्र सरकार की ओर से नजर नहीं आ रही है! तो क्या कानूनी निर्णय लेने के लिए माहौल बिगडऩे का इंतजार किया जाएगा

अभिव्यक्ति की आजादी और अभिव्यक्ति की अराजकता में बड़ा फर्क है... अपनी अभिव्यक्ति की आजादी के लिए कोई फिल्मकार दूसरों की भावनाओं से कैसे खेल सकता है?

फिल्म एक व्यवसाय है... मनोरंजन है, लेकिन... स्वाभिमान का इतिहास... सेल्फ रेस्पेक्ट के लिए त्याग, कोई व्यवसाय की वस्तु नहीं है... मनोरंजन नहीं है!

हो सकता है किसी के लिए सार्वजनिक नाचना-गाना अपने काम का हिस्सा हो, और देश में यह काम काल्पनिक कहानियों पर करने की पूरी आजादी भी है, लेकिन... आप इसे दूसरों पर कैसे लागू कर सकते हैं? अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को कुछ भी कहने की... कुछ भी दिखाने की आजादी कैसे दी जा सकती है?

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✍ VikramSingh Valera

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