माँ केंद्रित देशी-विदेशी फ़िल्में .......................

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माँ केंद्रित देशी-विदेशी फ़िल्में .......................

माँ के ऊपर भारत में हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में ख़ूब फ़िल्में बनी हैं । हिंदी की अगर बात करूँ तो कुछ फ़िल्में मार्केटिंग आँकड़ों, रेटिंग्स और क्रिटिक्स के लिहाज़ से काफ़ी प्रसिद्ध हुई हैं। जैसे मदर इंडिया (1957), ममता (1966), भावना (1984), संजोग (1985), करण-अर्जुन (1995), पा (2009), मॉम (2017) आदि-आदि। मदर इंडिया में तो नरगिस ने जीवंत अभिनय करके माँ की हिम्मत, सहनशीलता और हृदय की विशालता को इस तरह से प्रस्तुत किया की, फ़िल्म बेहद सराही गई । बाद में आगे चलकर नरगिस पर 1993 में एक डाक टिकट भी जारी की गई ।
विदेशी फिल्मों की बात करें तो लगभग सभी भाषाओं में माँ केंद्रित फ़िल्में बनी हैं और उनमें से कुछेक ने तो माँ की महत्ता और बच्चे के लिए उसकी उपस्थिति की ज़रूरत को बहुत अच्छे से अभिव्यक्त किया है।
Mommie Dearest (1981), Mask (1985), Mother Loves Me Once Again (1989), Jiuxiang (1995), Eve’s Bayou (1997), Stepmom (1998), Enough (2002), Duet (2005), Volver (I) (2006), Net Mother (2008), MADEO (2009), Goodbye Mom (2009), Mommy (2014), The Second Mother (2015), Room (2015) जैसी फ़िल्में माँ केंद्रित हैं जिनमें माँ का बच्चे के प्रति प्रेम, रक्षात्मक भाव, संघर्ष और त्याग को दिखाया गया है ।
आज इन सभी फिल्मों से दो फिल्मों- Madeo और Room पर लिखना चाहूँगा ।
'MOTHER [MADEO]' सन 2009 में आई एक शानदार दक्षिणी कोरियन फिल्म है। इस फिल्म का निर्देशन Boon Joon-ho ने किया है और केंद्रीय पात्र Kim Hye-ja हैं जिन्होंने फिल्म में माँ का रोल किया है। अपने शर्मीले बेटे Yoon Do-joon जिसका रोल Won Bin ने निभाया है, के लिए Kim Hye-ja ने बहुत ही प्रोटेक्टिव मदर के तौर पर अभिनय किया है। फिल्म बताती है कि माँ के लिए औलाद कैसी भी हो, खरी ही होती है। फिल्म पूरे विश्व में सराही गई। Kim Hye-ja का अभिनय तो कमाल का है। सन 2009 और 2010 में आयोजित अनेक फिल्म प्रदर्शनियों और पुरस्कार समारोहों में इस फिल्म ने लगभग सभी जगह पुरस्कार बटोरे थे। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार तो Kim Hye-ja ने लगभग सभी जगह से प्राप्त किया। इस 'मदर' फिल्म के लिए लगभग 68 वर्षीय अभिनेत्री Kim Hye-ja पर्याय बन गई थी।
‘Room’ फिल्म एम्मा डोनोघ के 2010 में ‘रूम’ नाम के उपन्यास का सिनेमाई चित्रण है । लेन्नी अब्राहमसन द्वारा निर्देशित इस फिल्म की शुरुआत एक ऐसे छोटे से कमरे से होती है जिसमें एक माँ और पाँच साल का बेटा रहते हैं । कमरे में एक बेड, शौचालय, बाथटब, एक अलमारी, टीवी और बेसिक-सी एक किचन स्लेब हैं । खिड़की के नाम पर एक स्काई लाइट है । यह फिल्म सात साल से क़ैद जॉय नोसम और उसके बेटे जैक की एक मार्मिक और संघर्षपूर्ण कहानी है जिसमें माँ का मन, बच्चे की मासूमियत, जैविक पिता की निर्दयता, दुनिया को कमरे जितनी समझने और फिर क़ैद से छूटने की कहानी है । फ़िल्म इस बात के लिए देखी जानी चाहिए कि किस तरह एक माँ लगभग नाउम्मीद कर देने वाली परिस्थितियों में भी अपने बेटे को ज़िंदा रखने के तमाम जतन करती है और एक बंद कमरे में ही पूरा संसार रच देती है । क़ैद से निकलकर बच्चे को जिस तरह से बाहरी दुनिया का परिचय होता है और उसके क्या मनोभाव रहते हैं, उसे बहुत अच्छे तरीक़े से दिखाया गया है । समाज में पुनर्स्थापन का संघर्ष और मानसिक टूटन को दोनों कलाकारों ने संजीदगी से अभिनीत किया है । नानी के किरदार ने अपनों की उपस्थिति की महत्ता और ज़रूरत को सही तरीक़े से दिखाया है । फिल्म 2015 में प्रदर्शित हुई थी और समीक्षकों द्वारा सराही गई थी । फिल्म में माँ और रेप विक्टिम का रोल Brie Larson ने निभाया है । अभिनेत्री की इस रोल को निभाने के लिए प्रतिबद्धता देखिए कि उन्होंने एक महीने तक बिना सूर्य की रोशनी के स्वयं को अभ्यस्त किया, रेप पीडिताओं के काउंसलर से चर्चाएँ की, कुपोषित दिखने के लिए वज़न कम किया ताकि बंद कमरे में क़ैद माँ के रोल को जीवंत किया जा सके । फिल्म इसीलिए देखी जानी चाहिए कि जिस दुनिया में हम जीते हैं, देखते हैं और संसाधन भोगते हैं, उसके प्रति हमारा नज़रिया और जिसे ये पहली बार देखने को मिला हो, उसमें क्या फ़र्क़ आता है । कई बार कुछ कल्पनाएँ यथार्थ में घटित हों, ये हम नहीं चाहते हैं लेकिन यदि ऐसी कल्पनाएँ या मानसिक चित्रण हमें बहुत -सी बातों, लोगों की कद्र ज़रूर करना सीखा दे तो ऐसी कल्पनाएँ की जानी चाहिए । यह फिल्म शायद यही सीखा दे ।
सोचता हूँ कि आज तक इतिहास में जितना कुछ भी लिखा गया है, चित्रित हुआ है या किसी अन्य तरीक़े से अभिव्यक्त हुआ है, वह सारा का सारा भी अगर माँ पर लिखा गया होता तो भी माँ की उपस्थिति, महत्ता और विशालता को व्यक्त करने में असमर्थ रहता है ।
ईश्वर को प्रदान की गई तमाम उपाधियाँ और विशेषण का भौतिक प्रतीक माँ ही है ।

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